सबूत जो साबित करते हैं एलियन्स का था धरती पर अस्तित्व!
By Mr_dad_digvijay
नई दिल्ली। लगभग हर किसी ने रात को आसमान में उड़ने वाली अजीब चीज़ों की कहानियां सुनी होगी और इन्टरनेट पर फुटेज भी देखा होगा। जबकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अज्ञात उड़ान वस्तुएं दरअसल दूसरी दुनिया से आने वाले एलियन्स हैं, तो दूसरे इसे मनगढ़ंत कहानियां मानते हैं। इस धरती पर कई रहस्य हैं जो हमारी सीमा से परे किसी जीवन की ओर इशारा करती हैं, और जो हमारे आसमान में उड़ने के सक्षम हैं।
यहां ऐसे पांच उदाहरण दिए गए हैं, जो साबित करते हैं कि एलियन पहले भी हमारे ग्रह पर आ चुके हैं।
1. नर्मबर्ग के आसमान में युद्ध
यह लकड़ी का टुकड़ा 16वीं शताब्दि के स्टार वार्स के बराबर है, और यह अप्रैल 14, 1561 की एक घटना को दर्शाता है। व्याख्यानों के अनुसार, सुबह करीब 4-5 बजे, सूरज पर भयानक छाया दिखी, जबकि विभिन्न आकारों वाली चीजें लकड़ी, गोले अस्तव्यस्तता से उड़ने लगे, और लोग एक दूसरे से लड़ने लगे। इस तस्वीर में आसमान से कई चीजें आग की लपेटों के साथ धरती पर गिरती दिख रही हैं।
2. दी पराकास स्कल
पेरु के दक्षिणी किनारे के पास कब्रों के समूह से प्रसिद्ध पुरातत्विद, जूलियो टेलो ने मानव खोपड़ी से भिन्न कुछ 300 खोपड़ियां बरामद की गई थीं। हालांकि ये खोपड़ियां आम मानव खोपड़ियों से 25 प्रितिशत बड़े और 60 प्रितिशत वज़नदार है, यह हमें कोनहेड्स या एलियन जैसी फिल्मों की याद दिलाते हैं।
3.पुमापुंकु के खंडहर
दुनिया में ऐसे तमाम प्राचीन खंडहर हैं, जो हमारे आधुनिक सभ्यता, प्रतिस्पर्धा में उन्नत तकनीकी उपलब्धियों के प्रदर्शन को हैरत में डाल देते हैं। बोलिविया का प्राचीन खंडहर पुमापुंकु इस आधुनिक वास्तुशिल्प का अदभुत उदाहरण है। ऐसा लगता है कोई निश्चित रुप से नहीं जानता कि इन संरचनाओं को कब बनाया गया था, और अनुमान लगाया जाता है कि ये 2,000 से 17,000 साल पूर्व के होंगे।
जितनी सफाई से इन पत्थरों को काटा गया है, वैसा हमारे आधुनिक हथियार आज भी करने में असमर्थ है। बिल्कुल ठीक सही कोण के हैं और उन पर कोई छैनी के निशान भी नही है। ऐसा लगता है जैसे पत्थरों को लेज़र से काटा गया हो। बोलिविया की इन खड़ी ढ़लानों पर विशाल पत्थरों को ले जाना लगभग असंभव होगा, क्योंकि उनके पास ना तो खिचाई के लिए घोड़े थे, और ना ही उन्हें रोल करने के लिए लकड़ी का लट्ठा।
4. क्राइस्ट को सूली पर चढ़ाया जाना, विसोकी डेक्कानी मठ, कोसोवो
14वीं शताब्दी की इस पेंटिंग को कोसोवो के विसोकी डेकानी मठ में पाया गया। पेंटिंग में आसमान में दोनों तरफ दो उड़ती चीज़ों को दर्शाया गया है। उनमें से एक कृत्रिम उपग्रह जैसा दिखता है।
संशयवादि तर्क देते हैं कि उड़ती दोनों वस्तुएं सूरज और चंद्रमा का वर्णन करती हैं। हालांकि, जब सूर्य और चंद्रमा सामान्यतः इस तरह के क्रूसीफिक्सन चित्रों और फ्रेस्को के दोनों तरफ शामिल होते हैं, उन्हें दूसरे तरह से साकार किया जाता है, कुछ घोड़े के नेतृत्व वाले रथ, अन्य घिरे हुए चेहरे जैसे। लेकिन, क्यों इन्हें स्पेसशिप का रूप दिया गया है, और पहली बार इसे पेंट करने के लिए पेंटर को कहां से ऐसा विचार आया होगा?
5. भारत के छत्तिसगढ़ की गुफा में प्राचीन पेंटिंग
भारत में छत्तीसगढ़ राज्य पुरातत्व और संस्कृति विभाग ने गुफा के इस 10,000 साल पुरानी पेंटिंग की शोध के लिए विशेषज्ञों की मदद मांगी, जैसा कि इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया। इतिहास से पूर्व साक्ष्य के बावजूद, इसमें इस्तेमाल किए गए प्राकृतिक रंग मुश्किल से धुंधले हुए हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से कुछ में यूएफओ और अलौकिकता दर्शायी गई है।
0 Comments