Swinging in the air, 70 pillars, such mystery science of the temple also surprised 

हवा में झूलता, 70 खंभा, मंदिर का ऐसा रहस्य विज्ञान भी हैरान

                                    By Mr_Dad_Digvijay

1-The topic of eagerness since antiquity
पुरातनकाल से उत्‍सुकता का है 


This small village is home to many ancient relics and wonders of architectural crafts. One of them is the hanging pole of the Lepakshi temple. One of the seventy pillars of the temple hangs without any support. Visitors put a lot of items from the bottom of this pillar and decide whether the claims made about this pillar are true or not. Whereas local citizens say that the removal of various things from under the pillar brings prosperity in the lives of people.
यह छोटा सा गांव बहुत से प्राचीन अवशेषों और वास्तु शिल्प के आश्चर्यों का घर है। इनमें से एक है लेपाक्षी मंदिर का झूलता हुआ खम्बा। मंदिर के सत्तर खम्बों में से एक बिना किसी सहारे के लटकता है। आगंतुक इस खम्बे के नीचे से बहुत सारी वस्तुओं को डालकर तय करते हैं कि इस खम्बे को लेकर किए जा रहे दावे सच हैं या नहीं। जबकि स्थानीय नागरिकों का कहना है कि खम्बे के नीचे से विभिन्न वस्तुओं को निकालने से लोगों के जीवन में सम्पन्नता आती है।
 


 Lepakshi temple in Anantapur district of Andhra Pradesh is famous all over the world for hanging pillars. More than 70 pillars of this temple stand without any support and are handling the temple. These unique pillars of the temple are a big mystery for the millions of tourists who come here every year. Devotees coming to the temple believe that removing their cloth from under these pillars brings happiness and prosperity. The British tried hard to unravel this mystery, but they could not succeed
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले का लेपाक्षी मंदिर हैंगिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं। मंदिर के ये अनोखे पिलर हर साल यहां आने वाले लाखों टूरिस्टों के लिए बड़ी मिस्ट्री हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि इन पिलर्स के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है। अंग्रेजों ने इस रहस्य को जानने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सकेे


However some say that there is a dance pavilion in the center of the temple. There are a total of 70 pillars on this pavilion, out of which 69 pillars are as they should be. But 1 pillar is completely different from others, that is because this pillar is in the air i.e. it is attached to the roof of the building, but already finished a few centimeters of the ground. With the changing times, this wonder has become a recognition. It is said that if a person takes a cloth from this side of the pillar to the other side, then its wish is fulfilled.

हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर के बीचोबीच एक नृत्य मंडप है। इस मंडप पर कुल 70 पिलर यानी खंभे मौजूद हैं जिसमें से 69 खंभे वैसे ही हैं, जैसे होने चाहिए। मगर 1 खंभा दूसरों से एकदम अलग है, वो इसलिए क्योंकि ये खंभा हवा में है यानी इमारत की छत से जुड़ा है, लेकिन जमीन के कुछ सेंटीमीटर पहले ही खत्म हो गया। बदलते वक्त के साथ ये अजूबा एक मान्यता बन चुका है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई इंसान खंभे के इस पार से उस पार तक कोई कपड़ा ले जाए, तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है।

Temple Story:

 Lord Shriram, Lakshmana and Mother Sita came here during exile. Ravana was taking Lanka with him after kidnapping Sita, when Birdsraj Jatayu fought with Ravana and fell in the same place after getting injured. Later, when Shri Ram arrived here in search of Sita, he embraced Jatayu by calling him 'Le Pakshi'. Le Pakshi is a Telugu word that means 'get up bird'

According to mythological beliefs, this temple was built by the sage August. But according to historians the temple was built in 1583 by two brothers (Virupanna and Veeranna) who worked for the king of Vijayanagar. However, to know the secret of the temple, the British tried to shift it, but they failed. An engineer tried to break the temple to find out its secret, and found that all the pillars of the temple swing in the air

मंदिर कथा : 

वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे। सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका लेकर जा रहा था, तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे। बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है 'उठो पक्षी. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर को ऋषि अगस्त ने बनाया था। लेकिन इतिहासकारों अनुसार मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। जोभी हो लेकिन मंदिर के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों में इसे शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे थे। एक इंजीनियर ने इसके रहस्य को जानने के लिए मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तो पाया कि मंदिर के सभी पिलर हवा में झूलते हैं।

This temple is built for Lord Shiva, Vishnu and Veerabhadra. There are also different temples of the three Gods here. There is a big Nagling statue in the temple complex, which is made of a single stone. It is considered to be the largest Nagling statue of India. In this idol made of black granite stone, a seven-snake snake sits on top of a Shivling.

यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए बनाया गया है। यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं। यहां बड़ी नागलिंग प्रतिमा मंदिर परिसर में लगी है, जो कि एक ही पत्थर से बनी है। यह भारत की सबसे बड़ी नागलिंग प्रतिमा मानी जाती है। काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग बैठा है।

 Hanuman verse in Lepakshi: It is said that the temple has Ramprem (according to the footprints of Shriram according to the belief), while many believe it to be the footprints of Mother Sita. On the other hand, these footprints are said to be the footprints of Hanumanji.There are many beliefs about this footprint. Some say that it is the foot of Goddess Durga, some believe it to be the mark of Shri Ram, but those who know the history of this temple consider it to be the foot of Sita. It is believed that after Jatayu was injured, Sita came to the ground and left this footprint on her own and assured Jatayu that till Lord Rama comes here, the water here will continue to give life to Jatayu. It is believed that this is the place where Jatayu told Shri Ram the address of Ravana.

लेपाक्षी में हनुमान पद : कहते हैं कि मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता सीता के पैरों के निशान हैं। दूसरी ओर, इन पैरों के निशान के बारे में कहा जाता है कि ये हनुमानजी के पैरों के निशान हैं।पैरों के इस निशान को लेकर कई मान्यताएं हैं। कोई कहता है कि ये देवी दुर्गा का पैर है, कोई इसे श्रीराम के निशान मानता है, लेकिन इस मंदिर का इतिहास जानने वाले इसे सीता का पैर मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि जटायु के घायल होने के बाद सीता ने जमीन पर आकर खुद अपने पैरों का यह निशान छोड़ा था और जटायु को भरोसा दिलाया था कि जब तक भगवान राम यहां नहीं आते, यहां मौजूद पानी जटायु को जिंदगी देता रहेगा। ऐसा माना जाता है कि ये वही स्थान है, जहां जटायु ने श्रीराम को रावण का पता बताया था।

There is a wonderful Shivling present here Ramalingeswara which was established by Lord Rama himself after the funeral of Jatayu. Another Shivling nearby is Hanumanalingeshwar. It is said that after Shree Ram, Mahabali Hanuman also established Lord Shiva here.

यहां मौजूद एक अद्भुत शिवलिंग है रामलिंगेश्वर जिसे जटायु के अंतिम संस्कार के बाद भगवान राम ने खुद स्थापित किया था। पास में ही एक और शिवलिंग है हनुमानलिंगेश्वर। बताया जाता है कि श्रीराम के बाद महाबली हनुमान ने भी यहां भगवान शिव की स्थापना की थी।